सूत्रों के अनुसार वाहन चेकिंग के नाम पर धड़ल्ले से कार और बाइक सवार का चालान करके पुलिस अपनी पीठ थपथपाने के साथ-साथ बड़े वाहनों से मनमाने तौर पर ओवरलोडिंग और परमिट तथा फिटनेस के नाम पर पत्रकारों को साथ लेकर खुलेआम जनमानस से लूट करती नजर आयी। भ्रष्टाचारी अवैध व्यापार में पुलिस तथा पत्रकार का शिष्टाचार कुछ को तो बहुत रास नजर आया वही अनुमान के अनुसार हो रही वसूली भ्रष्ट अधिकारियों तक ना पहुंच पाने के कारण इल्जाम पत्रकारों पर आने लगा। ड्यूटी पर लगे भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को तो पत्रकारों का साथ और सहयोग अति प्रिय नजर आता था जबकि वहीं अवैध वसूली में वसूली गई रकम अधिकारियों के पास कम पहुंचने पर काफी आक्रोश नजर आया। जिससे तिलमिलाए उच्च अधिकारियों ने अवैध लूट के व्यापार में मददगार पत्रकारों को ही हिकमत अमली का शिकार बनाकर समाज के सामने उन्हें नंगा कर दिया।
पुलिस सौजन्य से आरोपी बनाए गए 9 पत्रकारो को विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर जेल भेज दिया गया। मानवीय दृष्टिकोण से गांजा, दोहरा, बीड़ी, सिगरेट पान मसाला, गुटका ,कट्टा,खोखा ,बम और कारतूस नदारत नजर आया जबकि वहीं 11 मोबाइल 11 सिम 360 डिग्री का कैमरा तथा तीन डाटा केबल 2300 नगद की बरामदगी पुलिस के लिए बहादुरी भरा पराक्रम नजर आता है। वहीं जनमानस में धमाल मचा रही चर्चाओं के अनुसार पुलिस द्वारा पकड़े गए 9 पत्रकारों की संयुक्त कमाई 2300 रूपया औसतन 400 रूपए प्रतिदिन कमाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के अनुसार 3600 से बहुत कम नजर आयी जो चिंता के साथ-साथ जांच का विषय नजर आता है।
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