जौनपुर। माताओं ने अपने पुत्र के आरोग्य और दीर्घायु के लिए बुधवार को जीवित्पुत्रिका का निराजल व्रत रखा। घरों से लेकर मंदिरों तक जीमूतवाहन की पूजा सुबह से होती रही। व्रती महिलाओं ने कथा का श्रवण किया। जीतिया धारण कर व्रत के अनुष्ठान पूरे किए और दान.पुण्य भी किया। श्रद्धालुओं ने मां लक्ष्मी के लिए व्रत रखकर पूजा की। संतान की लंबी उम्र की कामना करते हुए रविवार को माताओं ने 24 घंटे का निर्जला उपवास रखकर जीवित पुत्रिका व्रत श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ किया। इससे पूर्व शनिवार को व्रतियों ने मडुआ का रोटीए कंदा का सब्जी एवं अरवा चावल पवित्रता के साथ ग्रहण कर व्रत रखी। ज्ञात हो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जुतिया व्रत भी कहते हैण् यह व्रत संतान की लंबी आयु और उनकी सुखए समृद्धि के लिए किया जाता है। जूतिया का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है। इस दिन महिलाएं संतान के सुख समृद्धि के लिए पूरे 24 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं और विधि. विधान के साथ पूजा करती हैं। इस व्रत के तप से माता अपने संतान की हर मुश्किल से रक्षा करती हैं। इस दिन जीवित्पुत्रिका की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और संतान को भी लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे बताया गया है कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जीवित्पुत्रिका व्रत माताएं अपनी संतान ;पुत्रए पुत्रीद्ध की खुशहाली व लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैंण् इस पूजा में चिटचिटा पौधे के दातुन और उसके पत्ते के विशेष महत्व रहता है। इसमें चिटचिटा के दातुन करते हैए रात्रि में पूजा के समय इसके पत्ते का उपयोग किया जाता है। इस दिन माताएं रात्रि में भगवान शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर मौन रहकर पूजा करती है। पूजा पूरी कर लेने के बाद 21 दाना चना या मूंग अपनी संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए भगवान में चढ़ाने के बाद उस चना या मूंग को निगलते है। उसके बाद बेटा जुतिया नाम से 16 गांठ वाली एक माला बनाए जाती है या बाजार में भी मिल जाती हैण् उसे धारण करती है।

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