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Monday, 21 October 2024

मानवता हुई शर्मसार तो मामला पहुंचा मानवाधिकार

 


जौनपुर। शाहगंज कोतवाली पुलिस की हिरासत में हुई मटरू बिंद की मौत का मामला अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  तक पहुंच चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव द्वारा की गई पैरवी के बाद आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया और जांच के आदेश दिए हैं। आयोग द्वारा 17398/IN/2024 डायरी संख्या के तहत इस शिकायत को दर्ज कर लिया है, जो पुलिस हिरासत में हुई मौतों से जुड़े मामलों में न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

 सूत्रों के अनुसार कलयुग के इस दौर में किसी भी मजदूर , मजबूर,शरीफ ,बेबस, लाचार, युवा ,होनहर ,वकील अथवा पत्रकार की इज्जत आबरू को तार तार करने का सरल और सहज उपचार उत्तर प्रदेश पुलिस  नजर आती है। उत्तर प्रदेश पुलिस को देखते ही बेड से गिरकर मरने का तथा बाथरूम की टोटी में लटक कर आत्महत्या से  मरने के बाद अब जनपद जौनपुर में 6 फुट के बाथरूम में 5 फीट ऊंची ग्रिल से आत्महत्या का मामला सवाब पर नजर आता है। 

राजमिस्त्री मटरू बिंद की मौत की  घटना के बाद से ही परिजन पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहे है।  जबकि पुलिस इसे आत्महत्या बताने पर जोर दे रही थी। अधिवक्ता गजेंद्र सिंह यादव ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस की शुरूआती जांच में जो लापरवाही और तथ्यों को छिपाने की कोशिश की गई, वह संदेह को और गहरा करती है। 

     इस घटना में मृतक के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने मटरू बिंद को जानबूझकर प्रताड़ित किया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हुई। इतना ही नहीं पुलिस एनकाउंटर में मारे गए लोगों की लाश परिजनों को सौंपने वाली पुलिस ने राजमिस्त्री की लाश को अपनी सुपुर्दगी में राख और खाक करवाकर शरीर पर लगे घाव के निशान को भी नेस्तनाबूत कर डाला। 

      मानवाधिकार आयोग द्वारा दर्ज की गई यह शिकायत इस बात की पुष्टि करती है कि अब इस मामले में सिर्फ पुलिस के दावे के आधार पर न्याय नहीं होगा, बल्कि एक निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है। अधिवक्ता गजेंद्र सिंह यादव ने आयोग से मांग की है कि इस मामले में शामिल पुलिसकर्मियों की भूमिका की गहराई से जांच की जाए, ताकि मटरू बिंद के परिवार को न्याय मिल सके।

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