जौनपुर । मुंगराबादशाहपुर के एक शिव मंदिर के पुजारी की साढ़े सात
बीघा जमीन उक्म गांव निवासी पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के भतीजे के नाम फर्जी तरीके से दर्ज कर दी गई। 40 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे पुजारी को अभी तक इंसाफ नहीं मिला.।न्याय में होने वाली देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि ज्यूडिशिल सिस्टम एकदम सड़ चुका है. ये पूरा मामला यूपी के पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव से जुड़ा हुआ है. पीड़ित शिव मंदिर के प्रबंधक व पुजारी का आरोप है कि पूर्व डीजीपी ने शिव मंदिर की साढ़े सात बीघे जमीन का फर्जीवाड़ा किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और सारी जमीन अपने भतीजे के नाम दर्ज करा दिया है। साथ ही इसपर कब्जा भी कर लिया।
इस मामले में पीड़ित पुजारी ने सीएम से भी कई बार गुहार लगाई लेकिन उनके न्याय का इंतजार आज भी खत्म नहीं हुआ। इसी गांव के रहने वाले शिव मंदिर के पुजारी विजय उपाध्याय का आरोप है कि शिव मंदिर के नाम से दर्ज साढ़े सात बीघा जमीन को पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव ने अपने भाई बृजलाल यादव के बेटे निशांत के नाम दर्ज करा लिया । मंदिर की जमीन न केवल फर्जीवाड़ा करके अपने नाम दर्ज कराई गई बल्कि उसे बलपूर्वक कब्जा भी कर लिया गया। पीड़ित इस मामले में अधिकारियों के यहां पिछले 40 सालों से चक्कर काट रहा है लेकिन, उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पीड़ित की जब जौनपुर में सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट के निर्देश के बाद जब मामले की जांच हुई तो जो जमीन जगमोहन यादव के भतीजे के नाम दर्ज हुई थी मिली। उन्होंने कहा कि जब ये फर्जीवाड़ा समाने आया तो अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए निशांत यादव के नाम दर्ज जमीन वाले उस आदेश को निरस्त कर दिया। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बावजूद पूर्व डीजीपी के परिवार से मामला जुड़ा होने के इस चलते मामले में कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। आज भी शिव मंदिर की जमीन का कब्जा मंदिर के प्रबंधक व पुजारी को वापस नहीं मिल पाया है। पीड़ित न्याय की आस में पिछले 40 सालों से जौनपुर में अधिकारियों के यहां चक्कर काट रहा है. पिछले 40 सालों से यह मामला चकबंदी कार्यालय में ही लंबित है.।
पीड़ित के वकील अजय उपाध्याय ने बताया कि शिवमन्दिर की साढ़े सात बीघा जमीन का फर्जीवाड़ा करके बलपूर्वक पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव द्वारा कब्जा करने के बाद दूसरी चकबंदी में गलत तरीके से तथ्यों को छिपाकर मौजूदा जमीन अपने भतीजे निशांत यादव के नाम दर्ज भी करा दिया गया। इसकी जानकारी होने पर जब आपत्ति की गई तो भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इलाहाबाद हाइकोर्ट जाने के बाद कोर्ट के आदेश पर जब चकबंदी विभाग के अधिकारियों को तलब किया गया तो निशांत यादव के नाम दर्ज करने के आदेश को निरस्त करते हुए चकबंदी अधिकारियों की फाइल को सीओ सदर के यहां ट्रांसफर कर दिया गया। पीड़ित शिवमंदिर के पुजारी विजय उपाध्याय ने बताया कि इस मामले में कई बार पूर्व डीजीपी और उनके परिवार द्वारा जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है।
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