जौनपुर। रूपयों की खातिर बिक रहा ईमान आज धड़ल्ले से ली जा रही मरीजों की जान का एकमुश्त समाधान बन रहा है जिसके अंतर्गत जनपद के विभिन्न तहसीलो व कसबो मे मानकों को ताख पर रखकर अवैध अस्पतालों का संचालन धड़ल्ले से चलाया जा रहा है विभागीय छापेमारी पर भी अब सवाल उठने लगा है।
क्योंकि पिछले हफ्ते नगर क्षेत्र के दिशा अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के छापेमारी के दौरान मानक विहीन और बगैर लाइसेंस के कारण सीज किया गया। इस अस्पताल के संचालक ने किसके दम पर सीज अस्पताल का ताला तोड़ कर अस्पताल चालू कर लिया वही इस मामले की जैसे ही जानकारी चौकी इंचार्ज को हुई तो उन्होंने त्वरित कार्यवाही करते हुए अस्पताल संचालक को हिरासत में लेकर कोतवाली में बैठा दिया,बाद में कोतवाली पुलिस ने आरोपी को सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में भेजा जहां से उसे जमानत दे दी गई। सवाल स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही पर उठाने लगी है।
ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते डीएम कार्यालय के सामने एक व्यक्ति ने जब स्वास्थ्य विभाग और प्रेमा हॉस्पिटल पर आरोप लगाते हुए आत्मदाह का प्रयास करने के बाद जिला प्रशासन ने केराकत,मछलीशहर में अवैद्य अस्पतालों पर जांच और छापेमारी की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन इस दौरान एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर आरोप लगने लगे की जांच के नाम अस्पतालों को सीज तो किया जाता है लेकिन सूत्र बताते है इन अवैद्य अस्पतालों को पीछे के दरवाजे से इसे खोल दिया जाता है।
आरोंप है जिला अस्पताल के इर्द गिर्द दर्जनों अस्पताल जो मानकों को ताख पर रखकर जनता के जान से खिलवाड़ कर रहे है। नगर के जेसीज चौराहा से लेकर कालीचाबाद,नईगंज,सहित तमाम इलाकों में चलाए जा रहे है,यही नही जिले के करीब 80 प्रतिशत ऐसे अस्पताल है जो बेसमेंट में चलाए जा रहे है और बगैर फायर एनओसी और बगैर डाक्टरों के चलाए जा रहे है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गरीबों की जिंदगी और गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ हो रहा है। नगर पंचायत जाफराबाद में भी ऐसे कई नर्सिंग होम हैं जो मानक विहीन है और तमाम मेडिकल स्टोर हैं जहां पर नकली दवाइयां और डेट एस्पायर दवाइयां बेची जा रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग मोटी रकम लेकर इनका संचालन करने का खुली छूट दे रखा है।

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