लखनऊ। नाथूवाद के दौर में कन्याकुमारी से लेकर हरिद्वार तक जौनपुर से लेकर इंदौर तक ही नहीं हर जगह गांधीवाद की बैंड बजाने के लिए हर कोई आतुर और व्याकुल नजर आता है अपराधिक हौसलों से लबरेज लोग पुलिस और प्रशासन ही नहीं बल्कि राजनीतिज्ञों को भी भाने लगे हाथ में अवैध असलहा लिए सरफरोशी की तमन्ना की जगह आंतरिक सुरक्षा की स्वेच्छा से कमान संभालने वाले लोगो का जज्बाती नारा देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को न सिर्फ वतन परस्ती की याद दिला रहा है बल्कि किसी भी बेगुनाह की सरपरस्ती को भस्म करने वाले जज्बाती संग्राम सेनानियों को कहीं वाई श्रेणी तो कहीं जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया के साथ-साथ कहीं मनचाहे पदों पर आसीन करता नजर आता है। जुगत और जुगाड़ तथा मौकापरस्ती के दमखम पर ही शायद कभी राजनीतिज्ञ तो कभी पुलिस के आला अधिकारी तो कभी जिलाधिकारी कहीं शंख और ताली बजा रहे हैं तो वहीं कुछ कोरोना गाइडलाइंस के नाम पर अभद्रता की हदों को पार करते हुए शादी के मंडप में डांडिया नृत्य करते नजर आते हैं। काश माननीय न्यायालय के आदेशों का अनुपालन तथा अपनी नियुक्ति के समय लिए गए वचनों के साथ-साथ रिश्वत लेना और देना दोनों जुर्म है जैसे जघन्य अपराधों से परहेज करने की लालसा इसी तत्परता से निभाते तो आज करोना से कई लाख गुना अधिक लोग बेवजह न मर पाते कुल मिलाकर भ्रष्टाचारी भावना के अंतर्गत रामचरितमानस की चौपाई का अनुसरण करने वाले भ्रष्टाचारियों के लिए संजीवनी का काम कर रही वह लाइने -होत न आज्ञा बिन पैसा रे भाव विभोर और मंत्रमुग्ध करती चली आ रही है। इसी कड़ी में त्रिपुरा राज्य का सोशल मीडिया पर धमाल मचा रहा अगरतला के डीएम शैलेश यादव का जज्बाती कारनामा कुछ लोगों को अति प्रिय लग रहा हैं तो वही मानवता को शर्मसार करता भी नजर आता है। अधिकांश सरकारों के अधीन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के रहमों करम पर अवैध बूचड़खाना, शराब ,जूआ अड्डा ,तस्करी जैसे जघन्य कृत्यों को संरक्षण देकर तथा सरकारी योजनाओं में कमीशन बांट का ठाठ पर एक तरफ जहां भ्रष्टाचार की बिगुल बजाई जा रही है वही मानवता को शर्मसार करते हुए नियमों की धज्जियां उड़ा रहे ला एंड आर्डर की जिम्मेदार पुलिस के खिलाफ कार्यवाही करने की जगह जिलाधिकारी स्वयं बारात में पहुंचकर पंडित को थप्पड़ियाते, दूल्हे को नोटियाते ,टेबल पर खाना खा रहे बारातियों को पुलिस के बल पर लठियाते, परिवार की इज्जत आबरू के लिए न्याय की गुहार लगाई लोगों को अरेस्ट कर जेल में भिजवाते तथा अपने आदेश के अनुपालन में हीला हवाली कर रहे मौके पर खड़े दरोगा को खुलेआम गलियांते नजर आते हैं। कुल मिलाकर जज्बाती दौर के तूफानी दौर में जिलाधिकारी अगरतला शैलेश यादव ऊंची उड़ान नहीं भर पाए और सस्पेंड नजर आए। वही इतने बड़े पैमाने पर इज्जत आबरू गवा चुके वर और कन्या पक्ष के अद्भुत स्वागत की सरकारी तैयारी की जा चुकी है जो चिंता के साथ-साथ जांच का विषय नजर आता है जहां ऐसे बेलगाम अधिकारी अधिकांश जनपदों में तैनात होकर अपने कारनामों को खुलेआम अंजाम देते नजर आते हैं जो कागजों पर हवाई घोड़े दौड़ते हैं।

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