जौनपुर। जीवितपुत्रिका व्रत को लेकर महिला श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है. व्रत रखने वाली महिला श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न तरह की तैयारी की जा रही है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व पर पूजा में काम आने वाले धागे की दुकानें लगी हुई है और महिलायें खरीददारी भी कर रही है। यह त्यौहार अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं इस व्रत को रखती है. इस दिन माताएं भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। ज्ञात हो कि हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है. यह व्रत बड़ा ही कठिन है. क्योंकि इसमें माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान से संतान के बेहतर भविष्य की कामना करती हैं. । जीवितपुत्रिका व्रत में भी छठ पूजा की तरह नहाय-खाय और खरना की परंपरा है। जीवितपुत्रिका व्रत का त्यौहार अपने बच्चों के प्रति चरम और कभी खत्म न होने वाले प्रेम और स्नेह के बारे में है।
इस अवसर पर मां अपने बच्चों के कल्याण के लिए बहुत सख्त उपवास रखती हैं। जीवितपुत्रिका व्रत के दौरान पानी की एक बूंद का भी सेवन नहीं किया जाना चाहिए. यदि यह उपवास पानी से किया जाता है तो उसे खुर जितिया कहा जाता है. अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के दौरान सातवें दिन से नौवें दिन यह तीन दिन तक मनाया जाता है. प्रथम दिन जो त्यौहार का पहला दिन होता है, उसे नाहाई-खाई कहा जाता है इस दिन माताएं स्नान करने के बाद पोषण के स्रोत के रूप में भोजन का उपभोग करती हैं. दूसरे दिन मां एक सख्त जीवितपुत्रिका उपवास का पालन करती हैं. इस त्यौहार के तीसरे दिन पारण के साथ व्रत सम्पूर्ण किया जाता है।
जीवितपुत्रिका उपवास बहुत उत्साह व खुशी के साथ मनाया जाता है. बच्चों की दीर्घायु और अच्छे भाग्य के लिए मां इस व्रत का पालन सबसे धार्मिक रूप में करती है. जो महिलाएं सख्त जीवितपुत्रिका व्रत का पालन करती हैं उन्हें सूर्योदय से पहले सुबह उठना चाहिए. पवित्र स्नान करना चाहिए और पवित्र भोजन ग्रहण करना चाहिए. उसके बाद वे पूरे दिन भोजन और पेयजल पीने से खुद दूर रखती हैं. अगली सुबह जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है. तब महिलाएं अपना उपवास समाप्त कर सकती हैं।

No comments:
Post a Comment