जौनपुर। जिले के पूर्ति विभाग की लूट खसोट के चलते कोटेदार निरंकुश हो गये है। जहां विभाग के संरक्षण में घटतौली चरम सीमा पर पहुंच गयी है, वहीं इस पर अंकुश लगाने वाले जिम्मेदार अपने लाभ के लिए कार्यवाही और जांच पड़ताल करने से परहेज कर रहे है। आलम यह है कि जहां घटतौली करके प्रत्येक कोटेदार उपभोक्ताओं को दोहन कर रहे है वहीं तमाम कमजोर व निर्बल लोगों को दो चार पांच किलो खाद्यान्न कम करके दे रहे है।
एक ओर सरकार जहां उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए अंगूठा का निशान लगवाया जाता है लेकिन लूट खसोट पहले की ही तरह हो रहा है। न तो दुकानों की जांच की जा रही है न ही उपलब्ध खाद्यान्न और रजिटर का मिलान कराया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इन सब मनमानी और लूट पाट पर पर्दा डालने के लिए विभाग प्रत्येक कोटेदार से पांच हजार से अधिक की धनराषि प्रतिमाह वसूल रहा है और वसूली के लिए कई चर्चित कोटेदार नियुक्त किये गये है। नगर में कई दर्जन कोटे की दुकानों का संचालन हो रहा है। जहां पात्र गृहस्थी, अन्त्योदय कार्ड से लम्बे समय से उपभोक्तओं को निःशुल्क गेहू, चावल आदि का वितरण किया जाता है।
विभाग की मनमानी का आलम यह है कि एक दुकानदार के यहां कई दुकानें सम्बद्ध है। वजह ज्यादातार कोटेदार की दुकाने अनुबन्ध और ठेके पर दे गयी है जो कई दशको से अनवरत दूसरे कोटेदारों द्वारा चलायी जाती है और वास्तविक कोटेदार को हर महीने निर्धारित रकम उपलब्ध करा दिया जाता है। इससे उपभोक्तओं को पेरशानी यह होती है उन्हे दूर जाकर राशन लेना पड़ता है और ज्यादा कार्ड धारक होने से भीड़ का सामना भी करना पड़ता है।
कुछ जानकारों ने दावा किया है कि एक भी उपभेक्ता ऐसा नहीं है जो घटतौली का शिकार न होता हो। इसके अलावा कोटेदार कुछ न कुछ लोचा बताकर सभी से एक दो यूनिट का राशन कम देता है। इसके लिए दो तराजू रखे गये है एक पर वास्तविक तौल जो उपभोक्तआ के मोबाइल पर वितरण का व्योरा आता है तो दूसरे पर उपभोक्ताओं को राशन तौला जाता है।
विभाग या अन्य सक्षम अधिकारी यदि वितरण के तीन चार दिन बाद कोटे की दुकान का सघन जांच करें और वितरण तथा उपल्ध राशन का मिलान करें तो कोई दुकानदार बच नहीं पायेगा। विभाग जहां सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है वहीं नियम कानून की जिले भर धज्जियां उड़ाकर मोटी कमाई कर रहा है। पूरे प्रकरण की जांच कराने लोगो द्वारा जिला प्रशासन से मांग की गयी है। कुछ संगठनों ने बताया है कि इस बारे में एक प्रतिनिधि मण्डल शीघ्र जिला प्रशासन से मिलकर जांच कराने की मांग करेगा।
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