जौनपुर। नौतपा में अपराधों का ग्राफ भी बहुत ज्यादा तपता नजर आया। लूट, छिनैती और पशु तस्करों का आतंक कम करने के लिए जहां पुलिस हथकण्डा कसती जा रही है वहीं हत्याओं का बाजार गर्म हो गया है। हर दिन कही न कही हत्याओं को अंजाम दिये जाने से लोग कहने लगे है पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली से अपराधियों के हौसले बढ़ते जा रहे है।
गस्त और सक्रियता की कमी के कारण अराजक तत्व बड़ी घटना को अंजाम देकर निकल जा रहे है। या तो मृतक के परिजनों की तहरीर पर नामजद लोगों को दबोच लिया जाता है अथवा सर्वविदित हत्याओं के आरोपियों को पकड़कर पुलिस अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है।
लोगों का कहना है कि रात में अपराधी हत्याओं को अंजाम देते है और निकल जाते है। पुलिस दूर-दूर तक कहीं भी नजर नहीं आती। सूत्रों की माने तो लगातार बढ़ते अपराध के पश्चात विवेचना की आड़ में पुलिस को मनमानी धन उगाही करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। शायद इसीलिए पुलिस रात में जांच पड़ताल न कर वाहनों से वसूली और सुरक्षित स्थान पर सोयी रहती है। जफराबाद थाना क्षेत्र में तिहरे नृशंस हत्या काण्ड को भी रात में ही अंजाम दिया गया है।
शहर के लाइन बाजार थानाक्षेत्र के वाजिदपुर तिराहे के निकट बीती रात अधिकारी की हत्या कर लाश स्कूटी से फेकी गयी जबकि वाजिदपुर तिराहे और जेसीज चौराहे पर पिकेट पर पुलिस के जवान तैनात रहते है वे क्या रात में वसूली पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किये रहते है। संदिग्धों की छानबीन करने की जिम्मेदारी पिकेट के और गस्त करने वाले कोबरा की नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी और उसके ऊपर के अधिकारी मानिटरिग नहीं करते कि उनके अधीनस्थ रात में क्या करते है जिनकी डयुटी लगायी गयी है वे कहा रहते है उनकी क्या कार्यपणाली है इसकी समीक्षा होंनी चाहिए अन्यथा ऐसे ही हत्याओं और अन्य वारदातों का ग्राफ बढ़ता जायेगा। हालात इसकदर बाद से बद्तर हो चुके है कि अधिकांश अधिकारी लोगो की काल नहीं रिसीव करते है। ऐसी दुर्व्यवस्था से आम आदमी दहशत है कि कब कहा किसकी लाश फेकी मिल जाय। रात में आना जाना भी अब लोग खतरनाक समझने पर विवश हो रहे है।
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