जौनपुर। शहर स्थित बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में इन दिनों एक बार फिर ड्रीमलैंड प्रदर्शनी
एवं मेला लगाया गया है, लेकिन यह आयोजन अब कानूनी और नैतिक दोनों स्तरों पर गंभीर सवालों के घेरे में आ गया है।यह वही मैदान है जिसके संबंध में वर्ष 2017 में नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय ने स्पष्ट रूप से मेला या किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि को प्रतिबंधित करते हुए पहले दी गई अनुमति को निरस्त कर दिया था। बावजूद इसके, आठ साल बाद फिर उसी स्थान पर मेला आयोजित होना न सिर्फ प्रशासनिक अनदेखी को उजागर करता है बल्कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। वर्ष 2017 में आयोजक मनोज कुमार सिंह पुत्र स्व. समर बहादुर सिंह को बीआरपी इंटर कॉलेज मैदान में ड्रीमलैंड फेयर लगाने की अनुमति नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय द्वारा प्रदान की गई थी। परंतु इसके खिलाफ सत्यप्रकाश सिंह और आनंद शंकर श्रीवास्तव द्वारा आपत्तियाँ दर्ज की गईं।
मामले की सुनवाई में दोनों पक्षों को बुलाकर उनका पक्ष सुना गया और अभिलेखीय साक्ष्यों तथा न्यायिक आदेशों के आधार पर स्पष्ट किया गया कि बीआरपी इंटर कॉलेज की भूमि राजस्व अभिलेखों में कायस्थ पाठशाला जौनपुर के नाम पर दर्ज है। तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉ0. सुभाषचंद्र सिंह ने लिखित रूप में स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी भी व्यक्ति को मेला आयोजित करने की अनुमति नहीं दी है।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की रिट याचिका संख्या में स्पष्ट निर्देश है कि शैक्षणिक संस्थानों की भूमि का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता। उक्त तथ्यों के आधार पर 9 अगस्त 2017 को नगर मजिस्ट्रेट, जौनपुर द्वारा दी गई अनुमति स्पष्ट रूप से निरस्त कर दी गई थी।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर संचालित हो रही प्रदर्शनी न सिर्फ क्षेत्र वासियों के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत का कारण बन रही है बल्कि प्रदर्शनी के इर्द-गिर्द संचालित हो रहे नर्सिंग होम में मरीजों की हालत लगातार बिगड़ रही है। सूत्रों के अनुसार पुलिस की मौजूदगी में प्रदर्शनी के अंदर जुआ अड्डों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है जिसके साथ-साथ अवयस्क बच्चों का शोषण भी किया जा रहा है।
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