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Saturday, 12 July 2025

हाईकोर्ट की सख्ती से दरोगा समेत चार निलंबित

 

जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करना याचिका कर्ता और उनके वकील को भारी पड़ गया । आरोप है कि हल्का लेखपाल और पुलिसकर्मियों की जुगलबंदी ने आरोपी पक्ष से मिलकर पीड़ित को पहले अरेस्ट किया फिर दो हजार रु लेकर उसे छोड़ दिया। इसके बाद याची के अधिवक्ता को पुलिसिया हनक खातिर दबिश देकर केस से पीछे हटने के लिए अरेस्ट करने की दहशत  मचाया। हालांकि, हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद निरीक्षक दिलीप कुमार सिंह, उपनिरीक्षक इंद्रदेव सिंह और हल्का सिपाही पंकज मौर्य,नितेश गौड़ को निलंबित कर दिया गया । वहीं दो पुलिसकर्मी क्रमशः पंकज मौर्य,नितेश गौड़, हल्का लेखपाल विजय शंकर और विपक्षी शिव गोविंद के खिलाफ केस भी दर्ज कराया गया है।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश स्थित जनपद जौनपुर अन्तर्गत मुंगराबादशाहपुर के बड़ागांव का है । इस गांव में सरकारी जमीन कब्जा करने के मामले में जोखन बिंद के खिलाफ गांव के ही गौरीशंकर सरोज ने शिकायत की थी । एसडीएम स्तर पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो गौरीशंकर सरोज ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।

हाईकोर्ट में दायर की याचिका

पीड़ित ने 30 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया । इस याचिका के याची अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी भी बड़गांव के ही रहने वाले हैं । हाईकोर्ट ने जब अवैध कब्जे पर कार्रवाई को लेकर संज्ञान लिया तो हल्का लेखपाल और पुलिसकर्मियों को याचिकाकर्ता की याचिका नागवार लगी । फिर शुरू हुआ लेखपाल और पुलिस की जुगलबंदी का सर्वविदित दहशत भरा खेल। जिसमें मिलकर पीड़ित याचिकाकर्ता के घर जाकर मचाईं गयी दहशत ने जौनपुर पुलिस को मुसीबत में डाल दिया है।


याचिकाकर्ता से वसूला दो हजार रुपये


पीड़ित अधिवक्ता ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने 17 मई को दहशत मचाने और याचिका छोड़ भाग जाने के मकसद से लेखपाल के साथ याचिकाकर्ता के घर जाकर उसके पोते को अरेस्ट कर अपने साथ ले जाने लगे । रास्ते में उसे छोड़ने के एवज में पुलिस ने 2 हजार रुपये वसूलकर पीड़ित के पोते को छोड़ दिया।


याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के घर पर दी दबिश


जौनपुर पुलिस यहीं नहीं रुकी, उसने जनहित याचिका करने वाले अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी पर दबाव एवं प्रभाव बनाने और उन्हें भी इस केस से पीछे हटने के लिए पुलिसिया हथकंडा अपनाया और दहशत मचाया। वकील ने बताया कि मुंगराबादशाहपुर के इंस्पेक्टर दिलीप कुमार सिंह खुद व हल्का उपनिरीक्षक इंद्र देव सिंह समेत दूसरे पुलिसकर्मियों के फोन से कई बार फोन करके उन्हें थाने बुलाया। इतना ही नहीं देर रात पुलिस टीम के साथ अधिवक्ता के घर जाकर दबिश भी दी । मौके पर अधिवक्ता के परिजनों संग अभद्रता की हद पार अभद्र व्यवहार किया।

इस मामले में अधिवक्ता ने 11 जुलाई को हाईकोर्ट में एफिडेविड देते हुए पुलिसकर्मियों के कृत्य के बारे में कार्रवाई की मांग किया । कोर्ट ने जौनपुर के एसपी को फटकार लगाते हुए यह आदेश दिया कि बिना कोर्ट के आदेश के जौनपुर पुलिस याची वकील और उसके परिवार को परेशान नहीं कर सकती।


15 जुलाई को एसपी जौनपुर तलब


कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जौनपुर के एसपी डॉ कौस्तुभ को उपस्थित होकर दोबारा जांच कर पर्सनल एफिडेविड देने का आदेश दिया है । कोर्ट ने जब जौनपुर के एसपी से इस पूरे मामले में जांच कर रिपोर्ट मांगी थी, तो जांच करने वाले जौनपुर के एएसपी ग्रामीण आतिश कुमार सिंह ने बिना जांच किए ही हाईकोर्ट में गलत रिपोर्ट दे दी थी। इसके बाद कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए एएसपी ग्रामीण पर कड़ी नाराजगी जताई। हालांकि, इस मामले में एसपी डॉ कौस्तुभ को खुद दोबारा जांच करके 15 जुलाई को एफिडेविड के साथ तलब किया है।


एसपी जौनपुर ने की कार्रवाई


जनहित याचिका दायर करने वाले मामले में याची और उसके अधिवक्ता के साथ गलत व्यवहार करने वाले दोषी हल्का उपनिरीक्षक इंद्रदेव सिंह, हल्का सिपाही पंकज मौर्य, नितेश गौड़ समेत मुंगराबादशाहपुर के प्रभारी निरीक्षक दिलीप सिंह को निलंबित कर दिया है । इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले लेखपाल विजय शंकर को मछलीशहर एसडीएम ने निलंबित कर दिया है। इस मामले में एसपी डॉ0 कौस्तुभ ने दोषी पुलिसकर्मी पंकज मौर्य, नितेश गौड़ और लेखपाल विजय शंकर एवं विपक्षी शिव गोविंद बिंद के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

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