जौनपुर। फर्जी और मनमर्जी मुकदमो के भाव ने असल पीड़ितों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है जिसकारण आज फिर एक बार सुरेरी थाना सुर्खियों में शुमार नजर आता है। आरोप है कि यहां पीड़ितों को ए फ आई आर दर्ज कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है।
बिना पैसे दिए शिकायत तक नहीं सुनी जाती, और अगर रिश्वत का मामला उजागर हो जाए, तो पीड़ित पर इतना दबाव डाला जाता है कि वह मजबूरी में समझौता करने को तैयार हो जाए। ताज़ा मामला जमुआ जगदीशपुर निवासी आशीष कुमार यादव का कहना है कि नाली निर्माण को लेकर पड़ोसियों ने उनके साथ मारपीट की, यहां तक कि घर में घुसकर भी हमला किया। शिकायत लेकर जब वह थाना सुरेरी पहुंचे, तो आरोप है कि तैनात कांस्टेबल विकास कुमार यादव ने थ्प्त् दर्ज करने के नाम पर 24,000 की मांग की। पीड़ित के अनुसार, उन्होंने 4,000 रुपये ऑनलाइन भेज भी दिए, बाकी रकम अगली सुबह देने को कहा गया। कांस्टेबल का कहना था कि “पैसे थाना प्रभारी को भी देने हैं।”
मामला पलट गया
पीड़ित का आरोप है कि रिश्वतखोरी की बात सामने आते ही थाना प्रभारी की शह पर कांस्टेबल और अन्य लोगों ने उन्हें “मेडिकल करवाने” के बहाने थाने बुलाया और पहले से तैयार सुलहनामा पर ज़बरदस्ती साइन करवा लिए। धमकी दी गई कि अगर साइन नहीं किए तो झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाएगा।
बता दे आपको पीड़ित सुलह होने से कुछ घंटों पहले थाना को जानकारी भी दिया कि मुझे मेडिकल के लिए बुलाया जा रहा कही मुझसे जबरजस्ती सुलह न करा लिया जाए ऐसा मुझे शक है, जिसपर थाना प्रभारी ने कोई जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं, पीड़ित पर दबाव बनाया गया कि 4,000 ऑनलाइन भुगतान को “रिश्वत” न मानकर “किसी और काम” का भुगतान बताया जाए। यह प्रकरण न सिर्फ थाना सुरेरी की कार्यशैली पर बल्कि पूरे जिले में पुलिस की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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