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Sunday, 29 December 2024

भ्रष्ट तंत्र का शिकार हुई अधिवक्ता की जिंदगी

 जौनपुर। अपराधी पुलिस की कमासुत औलाद तो वहीं भूमाफिया रिस्तेदार कहे जाते हैं। दिनदहाड़े खुलेआम हो रही लूट पर  रात्रि के अंधेरे में सूट की योजना मनमानी तौर पर आरोपी बना रहीं हैं जबकि लूटी गयी रकम पता नहीं चल पा रहीं हैं। मुठभेड़ पर लगातार सवालिया निशान लगाते जा रहे हैं। 

  
    राम राज्य में ,होत न आज्ञा बिनु पैसारे , वाली रामायण की यह चौपाई भ्रष्टाचारियों के लिए रामबाण साबित हो रही है। अर्थात बिना पैसा के कोई आदेश नहीं होता। सरकार भ्रष्टाचार मुक्त के लिए कटिबद्ध  है तो वहीं रुपयों के लिए ईमान बेचने वाले भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार की खातिर बचन बद्ध है। लगातार एंटी करप्शन के द्वारा हो रही कार्यवाही इसका जीता जागता प्रमाण हैं। 


विगत वर्षों से चली आ रही परम्परा अनुसार जहां पूर्व एस पी सिटी डाक्टर अनिल कुमार पांडे लोकसेवक होते हुए स्वयं भूमाफिया का किरदार निभाते हुए शहर कोतवाली थाना अंतर्गत छोटी काशी नामक मन्दिर के ट्रस्टी बन बैठे तो वहीं एस पी सिटी रहे डाक्टर संजय कुमार भी रामघाट पर मां काली नामक ट्रस्टी बने। पुलिस महकमे में तैनात आला अधिकारी  लिखित शिकायत के बाद भी मूकदर्शक बने रहे जहा तथाकथित समाजसेवी भंडारा खाते रहे जबकि मातहतों को भ्रष्टाचार की भूख तड़पाने लगी। 

  फिर शुरू हुआ अपराध का नया आयाम जिसके अंतर्गत किसी भी शरीफ, इज्जतदार,बेबस, लाचार, युवा, क्षात्र,होनहार, वकील और पत्रकार पर रूपया लेकर फर्जी और मनमर्जी मुकदमों का दौर तत्पश्चात विवेचना की आड़ में लूट । कानून पर भरोसा करते हुए ईमान पर चलने वाले पुलिस कोप भजन के साथ-साथ न्यायालय की परिक्रमा को विवश होकर आत्महत्या या फिर हत्या का शिकार होने लगे। करोड़ों की सम्पत्ति औने पौने दामों में खरीद फरोख्त होने लगी। प्रेम प्रपंच में आत्महत्या करने वाले प्रेमी युगल के परिजनों से भी ला ख लाख रुपए की वसूली होने लगी।

   पेशेवर अपराधी शहर से लेकर गांव और न्यायालय परिसर में बेख़ौफ़ होकर विचरण करने लगे। पुलिस की शह पर ना सिर्फ पत्रकारों को बल्कि विधि व्यवसाय कर रहे अधिवक्ताओं को मौत के मुहाने तक का सफर तय कराया जानें लगा। कुछ इज्जत आबरू खोने के बावजूद बार के समक्ष उपस्थित नहीं हुए तो वहीं कुछ शिकायत के बावजूद अपना वजूद बचा नहीं सके।

     विधि व्यवसाय का योद्धा अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह भी आज विधिक लड़ाई में  भ्रष्ट तंत्र का शिकार होकर मौत को सिधार गया। पुलिस की मौजूदगी में दरोगा की शह पर ना सिर्फ विपक्षियों ने उसे मरणासन्न किया वल्कि आरोपों के अनुसार ज़हर पिला दिया। जिसकारण आज जहां उसकी पत्नी बेवा तो वहीं उसके बच्चे अनाथ तथा वृद्ध माता पिता बेसहारा हो गये ।

      दीवानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र यादव एवं मंत्री रणविजय  यादव तथा अन्य सदस्यों एवं सहयोगी अधिवक्ताओं के दबाव में आकर मुकदमा दर्ज करने के पश्चात आरोपियों का हौसला आफजाई करने वाले दरोगा के निलंबन की कारवाई चंद दिनों के बाद पीड़ित परिजनों के लिए मुसीबत का सबब बनती नजर आएगी जो चिंता के साथ-साथ जांच का विषय नजर आता है।

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